myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Ravi Pradosh: Worship in auspicious yoga yields auspicious results.

Ravi Pradosh Vrat 2024: चैत्र माह का अंतिम रवि प्रदोष व्रत शुभ योग में पूजा देगी शुभ फल

Acharya Rajrani Sharma Updated 18 Apr 2024 11:27 AM IST
Shani Pradosh
Shani Pradosh - फोटो : myjyotish

खास बातें

Ravi Pradosh Pujan: प्रदोष पूजा भगवान शिव को समर्पित है. इस बार चैत्र माह का अम्तिम प्रदोष व्रत रवि प्रदोष व्रत के रुप में पूजा जाएगा. प्रदोष पूजा को करने से सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति का मार्ग प्राप्त होता है. प्रदोष के दिन व्रत करने से भगवान महादेव का शुभ आशिर्वाद मिलता है. 
विज्ञापन
विज्ञापन
Ravi Pradosh Pujan: प्रदोष पूजा भगवान शिव को समर्पित है. इस बार चैत्र माह का अम्तिम प्रदोष व्रत रवि प्रदोष व्रत के रुप में पूजा जाएगा. प्रदोष पूजा को करने से सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति का मार्ग प्राप्त होता है. प्रदोष के दिन व्रत करने से भगवान महादेव का शुभ आशिर्वाद मिलता है. 

Masik Pradosh Vrat हर माह आने वाली प्रदोष तिथि के दोरान भगवान शिव का पूजन विशेष विधान से किया जाता है. अभी चैत्र माह का समय चल रहा है ऎसे में चैत्र माह का यह शुक्ल पक्ष है जब रविवार के दिन प्रदोष तिथि होने से रवि प्रदोष व्रत किया जाएगा. मासिक रवि प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव के साथ साथ सूर्य देव की कृपा भी प्राप्त होती है. 

अभी किसी ज्योतिषी से बात करें!: https://www.myjyotish.com/talk-to-astrologers

प्रदोष पूजा विधि और मुहूर्त समय 

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 अप्रैल को रात 22.41 बजे से शुरू होनी है तथा 22 अप्रैल को सुबह 01.11 बजे समाप्त होगी. प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है. इसलिए प्रदोष व्रत 21 अप्रैल को मनाया जाएगा. इस दिन प्रदोष काल शाम 06:51 बजे से रात 09:02 बजे तक है. इस दिन प्रदोष पूजा में भगवान का कई चीजों से अभिषेक किया जाता है। इस दिन शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और चीनी, फलों के रस आदि से अभिषेक किया जाता है।इसके बाद धूप और दीप से भगवान की पूजा अर्चना करते हैं. 

पूजा बुक करें!: https://www.myjyotish.com/astrology-services/puja
 

शिव चालीसा

।।दोहा।।

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।।

।।चौपाई।।

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला।।

भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुंडल नागफनी के।।

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुंडमाल तन छार लगाये।।

वस्त्र खाल बाघंबर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे।।

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी।।

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी।।

नंदि गणेश सोहै तहं कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे।।

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ।।

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा।।

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी।।

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महं मारि गिरायउ।।

टैरो कार्ड रीडिंग भविष्यवाणी: https://www.myjyotish.com/tarot-card

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा।।

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई।।

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी।।

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं।।

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई।।

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला।।

कीन्ह दया तहं करी सहाई। नीलकंठ तब नाम कहाई।।

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा।।

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।।

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई।।

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर।।

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी।।

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै।।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो।।

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो।।

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई।।

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी।।

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं।।

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।।

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन।।

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं।।

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय।।

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शंभु सहाई।।

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी।।

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।।

पंडित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ।।

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा।।

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे।।

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे।।

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी।।

।।दोहा।।

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश।।
मगसर छठि हेमंत ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण।।
  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X