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सोमवार यानी देवों के देव महादेव का वार। इस बार संयोगवश 6 मई को वैशाख मास की शिवरात्रि पड़ रही है। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को शिवरात्रि आती है, इसलिए इसे मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस दिन पूर्ण श्रद्धा भाव में लीन होकर किए गए कार्यों से साधक को उसका फल जल्द ही मिलता है। तो आइए जानते हैं कि मासिक शिवरात्रि का महत्व क्या है और यह क्यों मनाई जाती है?
मासिक शिवरात्रि का महत्व
पुराणों के अनुसार, शिवलिंग का प्रादुर्भाव फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को हुआ है। हालांकि, कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन को महाशिवरात्रि कहा जाता है। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को यह पर्व होने के कारण प्रत्येक कृष्ण चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है।
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए करें ये कार्य
भगवान शिव अपने भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। उन्हें प्रसन्न करना बहुत ही सरल है इसलिए उन्हें भोले बाबा भी कहा जाता है।
पुराणों के अनुसार, शिवलिंग का प्रादुर्भाव फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को हुआ है। हालांकि, कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन को महाशिवरात्रि कहा जाता है। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को यह पर्व होने के कारण प्रत्येक कृष्ण चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है।
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए करें ये कार्य
भगवान शिव अपने भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। उन्हें प्रसन्न करना बहुत ही सरल है इसलिए उन्हें भोले बाबा भी कहा जाता है।
- भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए प्रत्येक सोमवार या मासिक शिवरात्रि के दिन प्रात: स्नान के बाद पूजा अर्चना करें।
- जल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- संभव हो तो रुद्राभिषेक पूजा या फिर महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
- इस दिन व्रत का पारण करें और फलाहार ही करें।
- निर्धन व्यक्ति को दान अवश्य करें।
- तामसिक आहार का ना सेवन करें और ना ही परिवार के किसी सदस्य को करने दें।